जब दो या दो से अधिक व्यक्ति क्षेत्र, जाति, लिंग, धर्म, संस्कृति, व्यवसाय
अथवा अन्य किसी आधार पर ‘हम’ की भावना से बंधे रहेते हैं तो इसे भावात्मक एकता
कहते हैं। मनुष्य आरम्भ से केवल अपने बारे में सोचता था धीरे-धीरे उसने दूसरों के
विषय में सोचना प्रारम्भ किया जब समाज का निर्माण हुआ फिर एक निश्चित भू-भाग
में रहने वाले लोग राजनैतिक विशेषताओं के कारण वर्गीकृत हेाते गये और सम्पूर्ण
भू-मण्डल देशों में