कार्यालय का अर्थ
जिस स्थान पर कार्यालयीन गतिविधियॉं जैसे-पत्रों को प्राप्त करना, भेजना, टाइप
करना, प्रतिलिपि तैयार करना, फाइले बनाना, फैक्स, टेलीफोन, कम्प्यूटर आदि से
सम्बन्धित गतिविधियां निष्पादित की जाती है, उसे कार्यालय कहा जाता हैं।
प्रत्येक आधुनिक संगठन मे कार्यालय का होना आवश्यक है जिससे कि आवश्यक
लिपिकीय एवं प्रशासनिक कार्यो को सही ढंग से पूरा किया जा सके।
कार्यालय की परिभाषा
‘‘कार्यालय वह स्थान है जहॉं लिपिकीय कार्य किए जाते है।’’- डेनियर, जे. सी.
‘‘कार्यालय वह इकाई हैं जहॉं संस्था के नियन्त्रण, नियोजन तथा कुशल प्रबन्ध के लिए
आवश्यक अभिलेख तैयार तथा प्रयोग किए जाते है एवं उन्हें सम्भाल कर रखा जाता है।
यह आन्तरिक एवं बाह्य सम्प्रेषण की सुविधा प्रदान करता है तथा संस्थान के विभिन्न
विभागों मे की जाने वाली गतिविधियों का समन्वय करता है ‘‘-लिटिलफील्ड, रेशल तथा
कारूथ।
अत: कार्यालय एक ऐसा स्थान है जहॉं संस्थान के कुशल एवं प्रभावी प्रबन्धन के
लिए सूचनाओं को एकत्र करने, प्रोसैसिंग करने, संग्रह करने और वितरण करने सम्बन्धी
सभी गतिविधियॉं सम्पन्न की जाती हैं।
कार्यालय की विशेषताएं
उक्त परिभाषाओं से कार्यालय की निम्नलिखित विशेषताएॅं प्रकाश में आती है। :
- सूचनाएॅं एकत्रित करना
- सूचनाओं का प्रक्रियण
- सूचना संग्रहीत करना
- सूचनाओं मे समन्वय स्थापित करना
- सूचनाओं का वितरण करना
कार्यालय के उद्देश्य
एक कार्यालय को निम्न लिखित उद्देश्यों को पूरा करना होता हैं-
- प्रबन्धन को सहायता देना-
प्रबन्धको को सही और तुरन्त निर्णय लेने के लिए सही समय पर विभिन्न
सूचनाओं की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र में कार्यालय प्रबन्धन को अमूल्य सहायता
प्रदान करता है। - सम्प्रेषण के माध्यम के रूप में कार्य करना-
कार्यालय एक माध्यम है जिसके द्वारा उपर से नीचे से उपर तथा संगठन
से बाहर सम्प्रेषण प्रवाहित होता है कोई भी संगठन इसके अभाव मे श्रेष्ठ संगठनात्मक
योग्यता के बावजूद असफल हो जायेगा। - समन्वय में सहायक-
संगठन के विभिन्न विभाग अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु कार्य करते हुए
उपक्रम के सामूहिक लक्ष्य से भटक सकते है। केंद्रीय कार्यालय एक माध्यम के तौर पर
कार्य करता हैं। जिसके द्वारा विभिन्न विभागों के क्रियाकलापों को संगठन के लक्ष्यों और
उद्देशों की प्राप्ति के लिए समन्वित किया जाता है। - सूचना-केद्र के रूप में कार्य करना-
कार्यालय अभिलेखों के रूप में सूचनाओं को संग्रहीत करता है तथा संगठन
के सूचना-केंद्र अथवा डाटा-बैंक का उद्देश्य पूरा करता है। कार्यालय मे नई और पुरानी
सभी प्रकार की सूचनाएं उपलब्ध रहती हैं, अर्थात यदि प्रबंधन यह जानना चाहता हैं कि
किसी विशेष जनपद में किसी विशेष समय में कितनी बिक्री हुई तो कार्यालय पिछले
रिकार्ड के आधार पर इस सूचना को देने में समर्थ होगा। - नियत्रंण केद्र के रूप मे कार्य करना-
विभिन्न विभागों और संगठन के सभी क्रिया-कलापों पर नियंत्रण रखना
होता है। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना के अनुसार प्रगति हो रही है।
इस प्रकार नियंत्रण प्रबंधन का एक आवश्यक कार्य है। - सेवा-केंद्र के रूप में कार्य करना-
कायार्ल य लिपिकीय और सचिवालीय सहायता विभिन्न विभागो को स्टेशनरी
की आपूर्ति, तथा अन्य आवश्यक सहायता प्रदान करता है।
कार्यालय के कार्य
कार्यालय का प्राथमिक कार्य सूचनाओं को एकत्र करना और उन्हे उपलब्ध कराना
है। जिनसे नीतियों का निर्माण एव निर्णयों को लेने मे सहायता मिलती है।
आधुनिक कार्यालय के कार्यों को दो भागो मे विभाजित किया जा सकता है-
- आधारभूत कार्य
- प्रशासनिक कार्य
आधारभूत कार्य
किसी भी कार्यालय के आधारभूत कार्य वे कार्य होते है। जिनका किसी भी संस्थान
मे निष्पादन आवश्यक होता है ये निम्न लिखित है-
- सूचना एकत्र करना-
कार्यालय संस्थान की विविध गतिविधियों के बारे में सूचना प्राप्त करता है
अथवा एकत्रित करता है।सूचना आन्तरिक आरै बाह्य स्रोतों से एकत्र की जा सकती है।
आन्तरिक स्त्रोत कर्मचारी हो सकते हैं और संस्थान के विविध विभाग हो सकते है। बाह्य
स्त्रोत उपभोक्ता, व्यापारी और सरकारी विभाग होते है। आन्तरिक स्त्रोतों से सूचना पत्रों,
परिपत्रों एवं एवं रिपोर्टों के रूप में प्राप्त होती है और बाह्य स्त्रोतों से सूचना पत्रों, आदेशों,
बीजको पूछताछ, रिपोर्ट, पश्नावलियों के माध्यम से प्राप्त होती है। संस्थान के कार्यपालक
अन्य संस्थानों में जाकर भी सचू ना एकत्रित कर सकते है। - सूचना का अभिलेखन-
कार्यालय विविध स्त्रोतों से एकत्र की गई सूचना का एक रिकार्ड रखता है।
जिससे कि प्रबन्ध को उन सूचनाओं को तुरन्त उपलब्ध करा सके। ये सूचनाएॅं पत्राचार,
रिपोर्ट, अभिकथन, परिपत्र, सूचियों, चार्ट, खातों, आदि के रूप में रखी जाती हैं। कार्यालय
को 1956 के कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत, अपने सदस्यों से सम्बन्धित रजिस्टर भी रखने
पड़ते है। - सूचना को व्यवस्थित करना, विश्लेषण करना और उपयोगी करना-
कार्यालय में जो सूचना एकत्र की जाती है। वह प्राय: उस रूप मे नहीं
रहती जिस रूप में प्रबन्ध के लिए उपयोगी हो सके। इसीलिए जो तथ्य और आंकड़े एकत्र
किए जाते हैं उन्हें व्यवस्थित किया जाता है, उनका विश्लेषण किया जाता है और उन्हे
प्रबन्ध के लिए उपयोगी बनाया जाता है इस सम्बन्ध में वित्तीय और सॉंख्यिकीय विवरण
चार्ट, सूचियॉं, रिपोर्ट एवं सारांश तैयार किए जाते है। - सूचना का सुरक्षण-
सूचना को समुचित ढंग से छांटा जाता है और उसे कम लागत पर एवं
वैज्ञानिक ढंग से संभाल कर सुरक्षित रखा जाता है। अभिलेखों/रिकार्ड्स के सुरक्षण के
लिए विविध प्रकार के उपकरण, फाइल रखने के केबिनेट आदि का प्रयोग किया जाता है।
अनावश्यक और पुराने अभिलेखों/रिकार्ड्स को नष्ट कर दिया जाता है जिससे नए एवं
उपयोगी अभिलेखों/रिकार्ड्स को रखने के लिए स्थान बन सके। - सूचना उपलब्ध कराना-
सभी एकत्र की गई और उपयोगी बना दी गई सूचना यदि सम्प्रेषित नही की जाती तो वह बेकार है। संगठन की ओर से ओर संगठन के लिए सम्प्रेषण का कार्य
कार्यालय से ही किया जाता है। सूचनाएं लिखित या मौखिक रूप में उपलब्ध करायी जा
सकती हैं।
प्रशासनिक कार्य-
कार्यालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए अनेक प्रशासनिक कार्यों का सम्पादन
भी आवश्यक है, जो कि निम्नांकित हैं :-
- प्रबन्धकीय कार्य-
कार्यालय के प्रबंन्धकीय कार्य प्रबन्ध के विविध कार्यों के समान ही होते है।ं
कार्यालय के कार्यों का नियोजन, संगठन एवं निष्पादन योजना के अनुसार ही होता है।
कार्यालय की कार्य क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रण रखा जाता है। कार्यालय
के प्रबन्ध के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था, निदेशन, सम्प्रेषण, समन्वय, अभिप्रेरणा, आदि
महत्वपूर्ण होते है। - कार्य व्यवस्था और कार्यप्रणाली का संस्थापन-
अन्य विभागों को श्रेष्ठतर सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्यालय को
समुचित प्रणाली एवं विधियों का विकास करना पड़ता है। कार्यालय में किए जाने वाले हर
काम का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाता है और सही कार्य-विधि का विकास किया
जाता है कार्य की गति में निरन्तरता बनाए रखने के लिए कार्यालय के विभिन्न कार्यों मे
सही क्रम का होना अत्यन्त आवश्यक है। - लेखन-सामग्री की व्यवस्था-
कार्यालय की कार्यकुशलता के लिए सही स्तर की लेखन सामग्री का
भरपूर मात्रा में उपलब्ध होना अनिवार्य हैं कार्यालय स्तरीय गुणवत्त्ाा के कागज, कलम,
स्याही तथा अन्य लेखन-सामग्री खरीदता हैं, उनका लेखा-जोखा रखता है तथा केवल
मॉंग पर ही उन्हे उपयोग के लिए जारी करता है। - फार्म के नक्शे बनाना तथा उन पर नियंत्रण रखना-
मानक फार्म का प्रयोग कार्य-प्रणाली को सरल बनाता है। यह कार्यालय
का दायित्व है कि वह कार्यालय तथा प्रतिष्ठान के अन्य विभागों में प्रयोग में लाए जाने
वाले फार्मों को मानक रूप दें और उनके प्रयोग पर नियंत्रण रखे। - कार्यालयी उपकरणों एवं फर्नीचर की खरीद-
कार्य के कुशल और किफायती निष्पादन के लिए उचित फर्नीचर, उपकरणों
एवं मशीनों की आवश्यकता होती है। कार्यालय को इन वस्तुओं के चयन और किसी भरोसे
के व्यापारी से उनकी खरीद की व्यवस्था करनी होती है। कार्यालय को यह भी सुनिश्चित
करना होता है कि विभिन्न विभागों और कर्मचारियों को फर्नीचर आदि सही समय पर मिल
सके । - संस्था की संपत्तियों का संरक्षण-
प्रत्येक संस्था में विभिन्न प्रकार की संपत्तियां रखी जाती है। इन संपत्तियों
को आग और चोरी, आदि के कारण होने वाले नुकसानों से बचाना अनिवार्य होता हैं।
कार्यालय में संपत्तियों के संरक्षण की व्यवस्था कुशल नियन्त्रण प्रणाली के माध्यम से की
जाती है। - कर्मचारियों का प्रबन्ध-
कार्यालय की कार्यकुशलता सर्वाधिक उसके कर्मचारियों पर निर्भर करती
है। कर्मचारियों की नियुक्ति , प्रशिक्षण, पदोन्नति, मूल्यांकन, तथा उनका हित देखना
कार्यालय के कार्य है। - जनसम्पर्क व्यवस्था-
जनता में प्रतिष्ठा और सद्भावना पर किसी संस्था का अस्तित्व और उसकी
प्रगती निर्भर करती है। जनसम्पर्क बनाए रखना कार्यालय का दायित्व होता है। अधिकॉंश
संस्थानों में भेंटकर्ताओं के स्वागत के लिए एक स्वागत काउण्टर होता है।