राजभाषा नियम, 1976
राजभाषा नियम, 1976
सा. का. नि. 1052 केन्द्रीय सरकार -राजभाषा
अधिनियम, 1963(1963 का 19) की धारा 3 की उपधारा (4) के साथ पठित धारा 8 द्वारा प्रदत्त
शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थात् :-
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ
- इन नियमों का संक्षिप्त नाम राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) नियम,
1976 है। - इनका विस्तार, तमिलनाडु राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है।
- ये राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को प्रवृत्त होंगे।
परिभाषाएँ- इन नियमों में जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो :-
- ‘अधिनियम’ से राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19), अभिप्रेत है;
- ‘केन्द्रीय सरकार के कार्यालय’ के अन्तर्गत निम्नलिखित भी है, अर्थात् :-
- केन्द्रीय सरकार का कोई मंत्रालय, विभाग या कार्यालय;
- केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किसी आयोग, समिति या अधिकरण का कोई कार्यालय;
और - केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में या नियंत्रण के अधीन किसी निगम या कम्पनी का
कोई कार्यालय; - ‘कर्मचारी’ से केन्द्रीय सरकार के कार्यालय में नियोजित कोई व्यक्ति अभिप्रेत है;
- ‘अधिसूचित कार्यालय’ से नियम 10 के उपनियम (4) के अधीन अधिसूचित कार्यालय, अभिप्रेत
है; - ‘हिन्दी में प्रवीणता’ से नियम 9 में वर्णित प्रवीणता अभिप्रेत है;
- ‘क्षेत्र क’ से बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड,
राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र
अभिप्रेत है; - ‘क्षेत्र ख’ से गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़, दमन और दीव तथा दादरा
और नगर हवेली संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत हैं; - ‘क्षेत्र ग’ से खंड (च) और (छ) में निर्दिष्ट राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से भिन्न राज्य तथा
संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है; - ‘हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान’ से नियम 10 में वर्णित कार्यसाधक ज्ञान अभिप्रेत है।
राज्यों आदि और केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से भिन्न कार्यालयों के साथ पत्रादि- (1) केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क्षेत्र ‘क’ में किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र को या ऐसे राज्य
या संघ राज्य क्षेत्र में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) या व्यक्ति को
पत्रादि असाधारण दशाओं को छोड़कर हिन्दी में होंगे और यदि उनमें से किसी को कोई पत्रादि
अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उनके साथ उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा।
केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से-
- क्षेत्र ‘ख’ में किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र को या ऐसे राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी
कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) को पत्रादि मामूली तौर पर हिन्दी में होंगे और
यदि इनमें से किसी को पत्रादि अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उनके साथ उनका हिन्दी अनुवाद भी
भेजा जाएगा :परन्तु यदि कोई ऐसा राज्य या संघ राज्य क्षेत्र यह चाहता है कि किसी विशिष्ट वर्ग या
प्रवर्ग के पत्रादि या उसके किसी कार्यालय के लिए आशयित पत्रादि संबद्ध राज्य या संघ राज्य
क्षेत्र की सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि तक अंग्रेजी या हिन्दी में भेजे जाएँ और उसके साथ दूसरी
भाषा में उसका अनुवाद भी भेजा जाए तो ऐसे पत्रादि उसी रीति से भेजे जाएँगे। - क्षेत्र ‘ख’ के किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में
भेजे जा सकते हैं। - केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क्षेत्र ‘ग’ में किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र को या ऐसे राज्य
में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) या व्यक्ति को पत्रादि अंग्रेजी में होंगे। - उपनियम (1) और (2) में किसी बात के होते हुए भी, क्षेत्र ‘ग’ में केन्द्रीय सरकार के कार्यालय
से क्षेत्र ‘क’ या ‘ख’ में किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र को या ऐसे राज्य में किसी कार्यालय (जो
केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) या व्यक्ति को पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं।
परन्तु हिन्दी में पत्रादि ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में हिन्दी
का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या, हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और
उससे सम्बन्धित आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे।
केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि-
- केन्द्रीय सरकार के किसी एक मंत्रालय या विभाग और किसी दूसरे मंत्रालय या विभाग के
बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं; - केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या विभाग और क्षेत्र ‘क’ में स्थित संलग्न या अधीनस्थ
कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी में होंगे और ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार, ऐसे
कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या, हिन्दी में पत्रादि भेजने
की सुविधाओं और उससे सम्बन्धित आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए, समय-समय पर
अवधारित करे; - क्षेत्र ‘क’ में स्थित केन्द्रीय सरकार के ऐसे कार्यालयों के बीच, जो खण्ड(क) या खण्ड(ख) में
विनिर्दिष्ट कार्यालयों से भिन्न हैं, पत्रादि हिन्दी में होंगे; - क्षेत्र ‘क’ में स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों और क्षेत्र ‘ख’ या ‘ग’ में स्थित केन्द्रीय
सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं;
परन्तु ये पत्रादि हिन्दी में ऐसे अनुपात में होंगे, जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में
हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं
और उससे सम्बन्धित आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे; - क्षेत्र ‘ख’ या ‘ग’ में स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में
हो सकते हैं : परन्तु ये पत्रादि हिन्दी में ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में
हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या, हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं
और उससे सम्बन्धित आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे;
परन्तु जहाँ ऐसे पत्रादि-
- क्षेत्र ‘क’ या क्षेत्र ‘ख’ किसी कार्यालय को सम्बोधित है वहाँ, यदि आवश्यक हो तो, उनका
दूसरी भाषा में अनुवाद, पत्रादि प्राप्त करने के स्थान पर किया जाएगा; - क्षेत्र ‘ग’ में किसी कार्यालय को सम्बोधित है वहाँ उनका दूसरी भाषा में अनुवाद, उनके साथ
भेजा जाएगा;
परन्तु यह और कि यदि कोई
पत्रादि किसी अधिसूचित कार्यालय को
सम्बोधित है तो दूसरी भाषा में ऐसा
अनुवाद उपलब्ध कराने की अपेक्षा
नहीं की जाएगी।
हिन्दी में प्राप्त पत्रादि के उत्तर- नियम 3 और नियम 4 में किसी बात
के होते हुए भी, हिन्दी में पत्रादि के
उत्तर केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से हिन्दी में दिए जाएँगे।
हिन्दी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग- अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (3) में निर्दिष्ट सभी दस्तावेजों के लिए हिन्दी और अंग्रेजी दोनों
का प्रयोग किया जाएगा और ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों का यह उत्तरदायित्व
होगा कि वे यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसी दस्तावेजें हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही में तैयार की
जाती हैं, निष्पादित की जाती हैं और जारी की जाती हैं।
आवेदन, अभ्यावेदन आदि-
- कोई कर्मचारी आवेदन, अपील या अभ्यावेदन हिन्दी या अंग्रेजी में कर सकता है।
- जब उपनियम (1) में विनिर्दिष्ट कोई आवेदन, अपील या अभ्यावेदन हिन्दी में किया गया हो या
उस पर हिन्दी में हस्ताक्षर किए गए हों, तब उसका उत्तर हिन्दी में दिया जाएगा। - यदि कोई कर्मचारी यह चाहता है कि सेवा सम्बन्धी विषयों (जिनके अन्तर्गत अनुशासनिक
कार्यवाहियाँ भी हैं) से सम्बन्धित कोई आदेश या सूचना, जिनका कर्मचारी पर तामिल किया जाना
अपेक्षित है, यथास्थिति, हिन्दी या अंग्रेजी में होनी चाहिए तो वह उसे असम्यक विलम्ब के बिना
उसी भाषा में दी जाएगी।
केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में टिप्पणों का लिखा जाना-
- कोई कर्मचारी किसी फाइल पर टिप्पण या कार्यवृत्त हिन्दी या अंग्रेजी में लिख सकता है और
उससे यह अपेक्षा नहीं की जाएगी कि वह उसका अनुवाद दूसरी भाषा में प्रस्तुत करे। - केन्द्रीय सरकार का कोई भी कर्मचारी, जो हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखता है, हिन्दी में
किसी दस्तावेज के अंग्रेजी अनुवाद की माँग तभी कर सकता है, जब वह दस्तावेज विधिक या
तकनीकी प्रकृति का है, अन्यथा नहीं। - यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई विशिष्ट दस्तावेज विधिक या तकनीकी प्रकृति का है या नहीं
तो विभाग या कार्यालय का प्रधान उसका विनिश्चय करेगा। - उपनियम (1) में किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार, आदेश द्वारा ऐसे अधिसूचित
कार्यालयों को विनिर्दिष्ट कर सकती है जहाँ ऐसे कर्मचारियों द्वारा, जिन्हें हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त
है, टिप्पण, प्रारूपण और ऐसे अन्य शासकीय प्रयोजनों के लिए, जो आदेश में विनिर्दिष्ट किए जाएँ,
केवल हिन्दी का प्रयोग किया जाएगा।
हिन्दी में प्रवीणता- यदि किसी कर्मचारी ने-
- मैट्रिक परीक्षा या उसकी समतुल्य या उससे उच्चतर कोई परीक्षा हिन्दी के माध्यम से उत्तीर्ण
कर ली है; या - स्नातक परीक्षा में अथवा स्नातक परीक्षा की समतुल्य या उससे उच्चतर किसी अन्य परीक्षा में
हिन्दी को एक वैकल्पिक विषय के रूप में लिया था; या - यदि वह इन नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसे हिन्दी में प्रवीणता
प्राप्त है;
तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त कर ली है।
10. हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान-
(1) यदि किसी कर्मचारी ने-
- मैट्रिक परीक्षा या उसकी समतुल्य या उससे उच्चतर परीक्षा हिन्दी विषय के साथ उत्तीर्ण कर
ली है; या - केन्द्रीय सरकार की हिन्दी प्रशिक्षण योजना के अन्तर्गत आयोजित प्राज्ञ परीक्षा या, यदि उस
सरकार द्वारा किसी विशिष्ट प्रवर्ग के पदों के सम्बन्ध में उस योजना के अन्तर्गत कोई निम्नतर
परीक्षा विनिर्दिष्ट है, वह परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है; या - केन्द्रीय सरकार द्वारा उस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई अन्य परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है; या
(ख) यदि वह इन नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसने ऐसा ज्ञान प्राप्त कर
लिया है, तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर
लिया है।
(2) यदि केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में कार्य करने वाले कर्मचारियों में से अस्सी प्रतिशत
ने हिन्दी का ऐसा ज्ञान प्राप्त कर लिया है तो उस कार्यालय के कर्मचारियों के बारे में सामान्यतया
यह समझा जाएगा कि उन्होंने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है।
(3) केन्द्रीय सरकार या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस
निमित्त विनिर्दिष्ट कोई अधिकारी यह अवधारित कर
सकता है कि केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय के
कर्मचारियों ने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर
लिया है या नहीं।
(4) केन्द्रीय सरकार के जिन कार्यालयों में
कर्मचारियों ने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है, उन कार्यालयों के नाम, राजपत्र में
अधिसूचित किए जाएँगे;
परन्तु यदि केन्द्रीय सरकार की राय है कि किसी अधिसूचित कार्यालय में काम करने वाले
और हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले कर्मचारियों का प्रतिशत किसी तारीख में से उपनियम
(2) में विनिर्दिष्ट प्रतिशत से कम हो गया है, तो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा घोषित कर
सकती है कि उक्त कार्यालय उस तारीख से अधिसूचित कार्यालय नहीं रह जाएगा।
मैन्युअल, संहिताएँ, प्रक्रिया सम्बन्धी अन्य साहित्य, लेखन सामग्री आदि-
- केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से संबंधित सभी मैनुअल, संहिताएँ और प्रक्रिया सम्बन्धी अन्य
साहित्य, हिन्दी और अंग्रेजी में द्विभाषिक रूप में यथास्थिति, मुद्रित या साइक्लोस्टाइल किया
जाएगा और प्रकाशित किया जाएगा। - केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में प्रयोग किए जाने वाले रजिस्टरों के प्ररूप और शीर्षक
हिन्दी और अंग्रेजी में होंगे। - केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में प्रयोग के लिए सभी नामपट्ट, सूचना पट्ट, पत्रशीर्ष और
लिफाफों पर उत्कीर्ण लेख तथा लेखन सामग्री की अन्य मदें हिन्दी और अंग्रेजी में लिखी जाएँगी,
मुद्रित या उत्कीर्ण होंगी :
परन्तु यदि केन्द्रीय सरकार ऐसा करना आवश्यक समझती है तो वह, साधारण या विशेष
आदेश द्वारा, केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय को इस नियम के सभी या किन्हीं उपबन्धों से
छूट दे सकती है।
अनुपालन का उत्तरदायित्व-
- केन्द्रीय सरकार के प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह उत्तरदायित्व होगा कि वह-
- यह सुनिश्चित करे कि अधिनियम और इन नियमों के उपबंधों और उपनियम (2) के अधीन
जारी किए गए निदेशों का समुचित रूप से अनुपालन हो रहा है; और - इस प्रयोजन के लिए उपयुक्त और प्रभावकारी जाँच के लिए उपाय करे।
- केन्द्रीय सरकार अधिनियम और इन नियमों के उपबन्धों के सम्यक् अनुपालन के लिए अपने
कर्मचारियों और कार्यालयों को समय-समय पर आवश्यक निर्देश जारी कर सकती है।
प्ररूप
(नियम 9 और 10 देखिए)
मैं इसके द्वारा यह घोषणा करता हूँ कि निम्नलिखित के आधार पर ‘मुझे हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त
है/मैंने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है :-
तारीख :
……………………
हस्ताक्षर
*जो लागू न हो, उसे काट दीजिए।
राजभाषा नियम, 1976 की कुछ महत्त्वपूर्ण व्यवस्थाएँ
सरकारी कामकाज में हिन्दी के प्रगामी प्रयोग की दिशा में
राजभाषा नियम, 1976 का जारी किया जाना एक महत्त्वपूर्ण
कदम है। इस नियम की कुछ महत्त्वपूर्ण व्यवस्थाएँ इस प्रकार
हैं :
- केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से ‘क’ क्षेत्र में स्थित किसी
राज्य को या ऐसे राज्यों में स्थित किसी अन्य कार्यालय या
कोई व्यक्ति जो वहाँ रह रहा हो, को भेजे जाने वाले पत्र आदि
हिन्दी में भेजे जाएँगे। यदि किसी विशेष मामले में ऐसा कोई पत्र अंग्रेजी में भेजा जाता है तब
उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा। - केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से ‘ख’ क्षेत्र में स्थित किसी राज्य को भेजे जाने वाले पत्र आदि
सामान्यत: हिन्दी में भेजे जाएँगे। यदि ऐसा कोई पत्र अंग्रेजी में भेजा जाता है तो उसका हिन्दी
अनुवाद भी भेजा जाएगा। इन राज्यों में रहने वाले किसी व्यक्ति को हिन्दी या अंग्रेजी किसी भाषा
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में पत्र भेजे जा सकते हैं। वार्षिक कार्यक्रम में किए गए प्रावधानों के अनुसार ‘ख’ क्षेत्र के लोगों
को भी पत्रादि हिन्दी में भेजे जाने अपेक्षित हैं। - केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से ‘ग’ क्षेत्र में स्थित किसी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के किसी भी
कार्यालय को या व्यक्ति को पत्रादि अंग्रेजी में भेजे जाएँग। यदि ऐसा कोई पत्र हिन्दी में भेजा
जाता है तो उसका अंग्रेजी अनुवाद भी साथ भेजा जाएगा। - केन्द्रीय सरकार के मंत्रालयों या विभाग और दूसरे मंत्रालय या विभाग के बीच पत्र-व्यवहार
हिन्दी या अंग्रेजी में किया जा सकता है। किन्तु केन्द्र सरकार के किसी मंत्रालय/विभाग और ‘क’
क्षेत्र में स्थित सम्बद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों के बीच होने वाला पत्र-व्यवहार सरकार द्वारा
निर्धारित अनुपात में हिन्दी में होगा। - हिन्दी में प्राप्त पत्रों आदि के उत्तर अनिवार्य रूप से हिन्दी में ही दिए जाएँगे। हिन्दी में लिखे
या हिन्दी में हस्ताक्षरित किए गए आवेदनों, अपीलों या अभ्यावेदनों के उत्तर भी हिन्दी में दिए
जाएँगे। - राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3(3) में निर्दिष्ट दस्तावेजों के लिए हिन्दी और अंग्रेजी दोनों
भाषाओं का प्रयोग किया जाएगा और इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ऐसे दस्तावेजों पर
हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी की होगी। - केन्द्रीय सरकार का कोई भी कर्मचारी फाइलों में हिन्दी या अंग्रेजी की टिप्पणी या कार्यवृत्त
लिख सकता है और उससे यह अपेक्षा नहीं की जाएगी कि वह उसका अनुवाद दूसरी भाषा में भी
प्रस्तुत करे। - केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से सम्बन्धित सभी मैनुअल, संहिताएँ और अन्य प्रक्रिया साहित्य
हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में द्विभाषिक रूप में तैयार और प्रकाशित किए जाएँगे। सभी फार्मों और
रजिस्टरों के शीर्ष, नाम-पट्ट, मुहरें, स्टेशनरी आदि की अन्य मदें भी हिन्दी और अंग्रेजी में
द्विभाषिक रूप में होंगी। - प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह दायित्व है कि वह राजभाषा अधिनियम और
उसके अधीन बने नियमों का समुचित रूप से अनुपालन सुनिश्चित करे और अपने कार्यालय में
उपयुक्त और प्रभावकारी जाँच-बिन्दु बनवाए।
संघ की राजभाषा नीति उपर्युक्त सांविधित और विधिक प्रावधानों पर आधारित है और इसी
परिप्रेक्ष्य में समय-समय पर आदेश/अनुदेश जारी करके राजभाषा नीति का कार्यान्वयन सुनिश्चित
किया जाता है।
‘क’, ‘ख’ और ‘ग’ क्षेत्र में हिन्दी
राजभाषा नियम, 1976 में हमने देखा कि हिन्दी बोले जाने और लिखे जाने की प्रधानता के आधार
पर सम्पर्ण भारतवर्ष को तीन क्षेत्रों में बाँटा गया है : ‘क’ क्षेत्र, ‘ख’ क्षेत्र एवं ‘ग’ क्षेत्र। ‘क’ क्षेत्र के
अन्तर्गत वे राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र आतें हैं जहाँ की बोली ही हिन्दी है। ‘ख’ क्षेत्र वे राज्य एवं
संघ राज्य क्षेत्र हैं जहाँ की भाषा हिन्दी न होने के बावजूद अधिकतर स्थानों में हिन्दी बोली और
समझी जाती है और ‘ग’ क्षेत्र के अन्तर्गत वे राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र आतें हैं जहाँ की बोली
हिन्दी न होकर उनकी प्रान्तीय भाषा है। ‘क’ क्षेत्र, ‘ख’ क्षेत्र एवं ‘ग’ क्षेत्र का विभाजन निम्नलिखित
सारणी से समझा जा सकता है :
‘क’ क्षेत्र | ‘ख’ क्षेत्र | ‘ग’ क्षेत्र |
---|---|---|
बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र |
गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली संघ राज्य क्षेत्र |
ओड़िशा, बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालेण्ड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोराम, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्णाटक, आन्ध्र प्रदेश, केरल |
उपर्युक्त राजभाषा नियम (1976) में केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से ‘क’, ‘ख’ एवं ‘ग’
क्षेत्र के लिए पत्राचार का प्रावधान भी अलग-अलग है :
‘क’ क्षेत्र | ‘ख’ क्षेत्र | ‘ग’ क्षेत्र |
---|---|---|
केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से : | ||
‘क’ क्षेत्र में स्थित किसी राज्य को या ऐसे राज्यों में स्थित किसी अन्य कार्यालय या काई व्यक्ति जो वहाँ रह रहा हो, को भेजे जाने वाले पत्र आदि हिन्दी में भेजे जाएँगे।यदि किसी विशेष मामले में ऐसा कोई पत्र अंग्रेजी में भेजा जाता है तब उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा। | ‘ख’ क्षेत्र में स्थित किसी राज्य को भेजे जाने वाले पत्र आदि सामान्यत: हिन्दी में भेजे जाएँगे। यदि ऐसा कोई पत्र अंग्रेजी में भेजा जाता है तो उसका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा। इन राज्यों में रहने वाले किसी व्यक्ति को हिन्दी या अंग्रेजी किसी भाषा में पत्र भेजे जा सकते हैं। | ‘ग’ क्षेत्र में स्थित किसी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के किसी भी कार्यालय को या व्यक्ति को पत्रादि अंग्रेजी में भेजे जाएँगे। यदि ऐसा कोई पत्र हिन्दी में भेजा जाता है तो उसका अंग्रेजी अनुवाद भी साथ भेजा जाएगा। |
इस तारतम्य में राजकीय कार्य हिन्दी में करने के लिए हर वर्ष राजभाषा विभाग ‘क’, ‘ख’
एवं ‘ग’ क्षेत्र हेतु विशेष ‘राजभाषा वार्षिक कार्यक्रम’ जारी करता है। वर्ष 2016-17 हेतु जारी
वार्षिक कार्यक्रम में ‘क’, ‘ख’ एवं ‘ग’ क्षेत्र हेतु निम्नलिखित लक्ष्य रखा गया है :
संघ का राजकीय कार्य हिन्दी में करने के लिए वार्षिक कार्यक्रम 2016-17
क्र. | कार्य विवरण | ‘क’ क्षेत्र | ‘ख’ क्षेत्र | ‘ग’ क्षेत्र |
---|---|---|---|---|
1. | हिन्दी में मूल पत्राचार (तार, बेतार, टेलेक्स, फैक्स,आरेख, ई-मेल आदि साहित) |
1. क क्षेत्र से ख क्षेत्र को 100 % 2. क क्षेत्र से क क्षेत्र को 100 % 3. क क्षेत्र से ग क्षेत्र को 65 % 4. क क्षेत्र से क व ख क्षेत्र के राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के कार्यालय/व्यक्ति को 100 % |
1. ख क्षेत्र से क क्षेत्र को 90 % 2. ख क्षेत्र से ख क्षेत्र को 90 % 3. ख क्षेत्र से ग क्षेत्र को 55 % 4. ख क्षेत्र से क व ख क्षेत्र के राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के कार्यालय/व्यक्ति को 100 % |
1. ग क्षेत्र से क क्षेत्र को 55% 2. ग क्षेत्र से ख क्षेत्र को 55 % 3. ग क्षेत्र से ग क्षेत्र को 55% 4. ग क्षेत्र से क व ख क्षेत्र के राज्य/संघ राज्य क्षेत्रके कार्यालय/व्यक्ति को 85% |
2. | हिन्दी में प्राप्त पत्रों का उत्तर हिन्दी में दिया जाना |
100% | 100% | 100% |
3. | हिन्दी में टिप्पण | 70% | 50% | 30% |
4. | हिन्दी टंकक एवं आशुलिपि की भर्ती |
80% | 70% | 40% |
5. | हिन्दी में डिक्टेशन/की बोर्ड पर सीधे टंकण |
65% | 55% | 30% |
6. | हिन्दी प्रशिक्षण (भाषा, टंकण, आशुलिपि) |
100% | 100% | 100% |
7. | द्विभाषी प्रशिक्षण सामग्री तैयार करना |
100% | 100% | 100% |
8. | जर्नल और मानक सन्दर्भ पुस्तकों को छोड़कर पुस्तकालय के कुल अनुदान में से डिजिटल वस्तुओं अर्थात् हिन्दी ई-पुस्तक, सीडी/ डीवीडी, पेन ड्राइव तथा अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं से हिन्दी में अनुवाद पर व्यय की गई राशि सहित हिन्दी पुस्तकों की खरीद पर किया गया व्यय |
50% | 50% | 50% |
9. | कंप्यूटर सहित सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की द्विभाषी रूप मे खरीद |
100% | 100% | 100% |
10. | वेबसाइट | 100 % (द्विभाषी) | 100 % (द्विभाषी) | 100 % (द्विभाषी) |
11. | नागरिक चार्टर तथा जन सूचना बोर्डों आदि का प्रदर्शन |
100 % (द्विभाषी) | 100 % (द्विभाषी) | 100 % (द्विभाषी) |
12. | पद्धमंत्रालयों/विभागों और कार्यालयों तथा राजभाषा विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने मुख्यालय से बाहर स्थित कार्यालयों का निरीक्षण (कार्यालयों का प्रतिशत) |
25 % (न्यूनतम) | 25 % (न्यूनतम) | 25 % (न्यूनतम) |
(ii)मुख्यालय में स्थित अनुभागों का निरीक्षण | 25 % (न्यूनतम) | 25 % (न्यूनतम) | 25 % (न्यूनतम) | |
(iii)विदेश में स्थित केन्द्र सरकार के स्वामित्व एवं नियंत्रण के अधीन कार्यालय/उपक्रमों का सम्बन्धित अधिकारीयों तथा राजभाषा विभाग के अधिकारियों द्वारा संयुक्त निरीक्षण |
वर्ष में कम से कम एक निरीक्षण |
|||
13 | राजभाषा सम्बन्धी बैठकें 1- हिन्दीसलाहकार समिति 2-नराकास 3-राजभाषा कार्यान्वयन समिति |
वर्ष में 2 बैठकें (कम से कम) वर्ष में 2 बैठकें (प्रति छमाही एक बैठक) वर्ष में 4 बैठकें (प्रति तिमाही एक बैठक) |
||
14. |
कोड, मैनुअल, फार्म, प्रक्रिया साहित्य का हिन्दी अनुवाद |
100% |
||
15. | मंत्रालय/विभागों/कार्यालयों/ बैंकों/उपक्रमों के 1. ऐसे अनुभाग जहाँ सम्पूर्ण कार्य हिन्दी में हो 2. जहाँ अनुभाग की अवधारणा न हो वहाँ के लिए |
40% 25% |
40% 20% |
30% 15% |
हिन्दी प्रसार कार्यक्रम
भारत अनेक भाषाओं, जातियों और धर्मों का देश है। यहाँ की संस्कृति कई संस्कृतियों के
मेल से बनी है। इसीलिए भारतीय संस्कृति सामासिक संस्कृति है। जब हिन्दी को भारत की
सामासिक संस्कृति के सभी तत्त्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाने का प्रयास किया जाएगा तो
स्वाभाविक ही है कि इससे हिन्दी के अखिल भारतीय स्वरूप का विकास होगा और वह राष्ट्रभाषा
एवं राजभाषा का दायित्व वहन करने में अधिकाधिक सक्षम होगा।
अनुच्छेद 351 के प्रावधानों के अनुसार हिन्दी के विकास और प्रसार की जिम्मेदारी संघ
सरकार को सौंपी गई है। इसी के तहत हिन्दी के अधिकाधिक प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए
केन्द्रीय सरकार ने अनेकानेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए ताकि हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो सके। जैसे
:
- राजभाषा हिन्दी के उत्तरोत्तर प्रयोग के लिए द्विभाषी कंप्यूटरों की खरीद एवं कंप्यूटरों के
द्विलिपीय प्रयोग के लिए प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करना। - केन्द्रीय सरकार की राजभाषा नीति के अनुपालन/कार्यान्वयन के लिए न्यूनतम हिन्दी पदों का
सृजन करना। - अनुवाद से सम्बन्धित कर्मचारियों/अनुवादकों के लिए अनिवार्य अनुवाद प्रशिक्षण की व्यवस्था।
- सेवाकालीन विभागीय तथा पदोन्नति परीक्षाओं में हिन्दी का प्रयोग।
- सरकारी पत्र-पत्रिकाओं का हिन्दी में प्रकाशन।
- राजभाषा कार्यान्वयन समितियों, नगर राजाभाषा कार्यान्वयन समितियों, हिन्दी सलाहकार
समितियों आदि का गठन। - राजभाषा के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाने की दिशा में सर्वोत्कृष्ट कार्य करने वाली नगर राजभाषा
कार्यान्वयन समितियों को पुरस्कृत करना। - विशिष्ट क्षेत्रों में सरकारी काम हिन्दी में करने के लिए पुरस्कार एवं प्रोत्साहन प्रदान करना।
- वैज्ञानिक तथा तकनीकी विषयों की मौलिक पुस्तकें हिन्दी में लिखने पर पुरस्कार प्रदान करना।
- वैज्ञानिक तथा तकनीकी संगोष्ठियों, सम्मेलनों आदि में हिन्दी में शोध-पत्र आदि प्रस्तुत करने
को बढ़ावा देना तथा वैज्ञानिक पत्रिकाओं में उनका प्रकाशन करवाना। - सरकारी कार्यालयों के पुस्तकालयों में हिन्दी पुस्तकों की खरीद सुनिश्चित करना।
- राजभाषा अधिनियम और नियमों के अधीन जारी किए गए निदेशों की अवहेलना करने पर
कार्रवाई। - केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो, हिन्दी प्रशिक्षण
संस्थान आदि महत्त्वपूर्ण विभागों/संस्थानो की स्थापना।
इसके अलावा और भी बहुत सारे महत्त्वपूर्ण निर्णय/पदक्षेप भारत सरकार द्वारा लिये गये
हैं और इन्हीं महत्त्वपूर्ण निर्णयों/प्रयासों के कारण आज राजभाषा हिन्दी अपने नाम की सार्थकता
को प्रतिपादित करने में सफल रही है।