व्यापार के प्रकार
भारत के व्यापार को दो भागों में बांटा गया हैं।
- आंतरिक व्यापार
- विदेशी व्यापार।
आंतरिक व्यापार-
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति फर्म संगठन या संगठन
राज्य देश की सीमा के भीतर वस्तुओ का आदान प्रदान करते हैं तो उसे आंतरिक व्यापार
कहते हैं। जैसे जूट पश्चिम बंगाल मे कपास महाराष्ट्र और गुजरात में गन्ना संकेद्रित हैं।
अत: अन्य राज्यों की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये दूसरे उत्पादक राज्यों पर
निर्भर रहना पड़ता हैं।
अंतराष्ट्रीय व्यापार-
जब दो या दो से अधिक राष्ट्रों के मध्य परस्पर
वस्तुओं का आदान प्रदान होता हैं। तो उसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहते हैं। इसके तीन
महत्वपूर्ण घटक हैं-
- आयात व्यापार- देश के भीतर जब किसी वस्तु का अभाव होता हैं और
उसकी पूर्ति दूसरें देशों से मांगकर की जाती हैं। उसे आयात व्यापार कहते हैं। - निर्यात व्यापार- देश के भीतर जब किसी वस्तु की अधिकता हो जाती
हैं तो उस वस्तु को आवश्यकता वाले देश में भेज दिया जाता हैं इसे निर्यात व्यापार
कहते हैं। - पुन: निर्यात व्यापार- जब विदेशों से आयातित वस्तुओं को पुन: दूसरे
देशों को निर्यात कर दिया जाता हैं तो इसे पुन: निर्यात व्यापार कहते हैं।