एक सुंदर पहेली
पातालपानी का अनुपम सौंदर्य जहां हर किसी को हैरान कर देता है, वहीं यह रहस्यमयी झरने के नाम से भी विख्यात है। आइए, इसके बारे में रोचक तथ्य जानें।
यदि आप प्रकृति को निहारना चाहते हैं। उसे जीना चाहते हैं। सुंदर छवियों को मानसपटल में कैद करना चाहते हैं, साथ ही रहस्य व रोमांच का भी आनंद लेना चाहते हैं तो चलिए यात्रा करते हैं मध्य प्रदेष की आर्थिक राजधानी इंदौर के निकट पातालपानी की, जो प्राकृतिक छटा और रहस्य से भरपूर है। पातालपानी जलप्रपात मध्य प्रदेष के इंदौर जिले में स्थित है प्रकृति के सौंदर्य से ओत-प्रोत यह झरना डॉ आंबेडकर नगर अर्थात (महू) तहसील ने निकट स्थित है। पातालपानी इंदौर से करीब 36 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां जाने के लिए महू से होकर जाना पड़ता है।
अनसुलझा रहस्य
पातालपानी नाम सुनकर ही रोमांच होता है। आखि़र पानी के पहले पाताल क्यों? क्या है इसकी कहानी? असल में पातालपानी में करीब 300 फुट की ऊंचाई से झरना गिरता है। किंतु झरने का पानी जहां गिरता है, उसकी गहराई अब तक नापी नहीं जा सकी है। कहा जाता है कि यहां से पानी सीधा पाताल में जाता है, जिस कारण इसका नाम पातालपानी पड़ा। लोगों का यह भी मानना है कि यह झरना पाताल तक गहरा है। बरसात के मौसम में यहां की छटा अनुपम होती है। यह झरना इंदौर का एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट है। पातालपानी जलप्रपात भारत के मध्य प्रदेष राज्य में इंदौर ज़िले की महू तहसील में स्थित है। झरना लगभग 300 फुट ऊंचा है। पातालपानी के आसपास का क्षेत्र एक लोकप्रिय पिकनिक और ट्रैकिंग स्थल है। पानी का प्रवाह वर्शा के मौसम के तुरंत बाद सबसे अधिक होता है। गर्मी के मौसम में यहां पानी की धारा कम हो जाती है।
रोमांचकारी अनुभव व नायाब नज़ारे
पातालपानी जलप्रपात कई मायनों में आपकी यात्रा को ख़ास बना सकता है। इस झरने की ऊंचाई और इसका अंतहीन कुंड मुख्य आकर्शण का केंद्र है, जिसे हर कोई देखना चाहेगा। आसपास का इलाका काफ़ी हरा-भरा है, इसलिए यह स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए भी अधिक मायने रखता है। यहां एडवेंचर के षौकीन ट्रैकिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। कुछ नया जानने वाले जिज्ञासुओं के लिए भी यह स्थल बहुत महत्त्व रखता है। साहसिक क्रीड़ाओं में रुचि रखने वाले लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। एक षानदार यात्रा के लिए आप यहां आ सकते हैं। इंदौर जाने वाले पर्यटकों के लिए वर्शा ऋतु के दौरान यह किसी जन्नत से कम नहीं होगा। चारों ओर फैली हरियाली और घुमावदार पहाड़ियां आपका मन मोहने में षायद ही कोई कसर छोड़े। महू से आगे की ओर ट्रेन यात्रा के लिए आज भी मीटर गेज ट्रेन का इस्तेमाल किया जाता है। यदि आप इस झरने और वादियों का आनंद उठाना चाहते हैं तो पष्चिम रेलवे द्वारा डॉ. अम्बेडकर नगर से चलाई गई हेरिटेज ट्रेन उपयुक्त है। यह पातालपानी और कालाकुंड की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाती है। ट्रैकिंग के दौरान अपनी सुरक्षा का विषेश ध्यान रखें। कुंड की गहराई बहुत अधिक है, इसलिए भूल से भी पानी में उतरने या छलांग लगाने की कोषिष न करें। पातालपानी घूमने का सबसे आदर्ष समय मानसून के बाद आनंद होता है, यानी आप यहां सितम्बर से लेकर फरवरी के मध्य का प्लान बना सकते हैं।
हेरिटेज ट्रेन की सवारी
पष्चिम रेलवे के रतलाम मंडल में इंदौर के करीब 140 साल पुराने पातालपानी-कालाकुंड ट्रैक पर भारतीय रेलवे ने हाल ही में मीटर गेज पर रेलगाड़ी का परिचालन फिर से आरंभ कर दिया गया है। यह पष्चिम रेलवे का पहला हेरिटेज रेल खंड बन गया है। इस ट्रेन के चलने से पर्यटक काफ़ी उत्साहित हैं। यह रेलखंड प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। वहीं रास्ते के स्टेषनों को स्थानीय चित्रकारी एवं कला से सजाया गया है। इस रूट पर चलने वाली हेरिटेज ट्रेन के दो कोच बीकानेर वर्कषाप में तैयार किए गए हैं। यही नहीं इस अनूठी ट्रेन का लोकोमोटिव (इंजन) भी काफ़ी आकर्शक बनाया गया है। यह रेलगाड़ी रास्ते में 4 सुरंगों, 41 पुलों व 24 तीखे मोड़ों से गुज़रती है। यहां से ट्रेन का पहला स्टॉपेज पातालपानी स्टेषन, दूसरा टंट्या मामा प्लेटफाॅर्म, तीसरा टनल नंबर एक के पहली पहाड़ी, चैथा ब्रिज नंबर 647 एवं चैथा कालाकुंड स्टेषन है। हेरिटेज रेल में पर्यटक जिस कोच में बैठते हैं, उसमें 360 डिग्री पर घूमने वाले कैमरे लगाए गए हैं और स्क्रीन भी लगाई गई है। इससे पर्यटक बाहर के प्राकृतिक नज़ारे ट्रेन के अंदर भी देख सकते हैं। इस रेलवे ट्रैक को 142 साल पहले अंग्रेज़ों ने बनाया था। इस रूट पर पातालपानी वाटर फॉल-टंट्या मां मंदिर के करीब एक अतिरिक्त प्लेटफाॅर्म भी बनाया गया है। यहां पर्यटक ट्रेन से उतरकर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।